अपने सच्चे स्वरूप को जानने वाला कभी भी भ्रमित क्यों नहीं होता? क्योंकि वह सब जानता है क्योंकि वह अगले जन्म को मानता है क्योंकि अंत में सब कुछ शून्य हो जाता है क्योंकि आत्मा में कोई बदलाव नहीं आता =क्योंकि आत्मा में कोई बदलाव नहीं आता
अपने सच्चे स्वरूप को जानने वाला कभी भी भ्रमित क्यों नहीं होता? क्योंकि वह सब जानता है क्योंकि वह अगले जन्म को मानता है क्योंकि अंत में सब कुछ शून्य हो जाता है क्योंकि आत्मा में कोई बदलाव नहीं आता =क्योंकि आत्मा में कोई बदलाव नहीं आता